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Sunday, April 26, 2009

Piyush Mishra

पियूष मिश्रा के बारे में पढने के बाद मैं अपने आप को रोक नहीं सका ब्लॉग करने से। इन शोर्ट बोले तो गजब आदमी है दोस्तों !! ऐक्टर, सिंगर, राईटर, कोम्पोसेर... मतलब यार हद होती है

खैर, उनकी एक रचना पेश करता हूँ पहले because I think there is no better introduction for an artist than his art itself. तो मुज़एरा फरमाइए

ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोसिता

देखते की मुल्क सारा है टशन महफिल में है

आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गए

अपनी आज़ादी तो भैय्या लौंडिया के तिल में है

आज के जलसों में बिस्मिल एक गूंगा गा रहा

और बहरों का वोह रेला नाचता महफिल में है

हाथ की खादी बनने का ज़माना लद गया

आज तो चड्ढी भी सिलती इन्ग्लिसों की मिल में है

इसका यू ट्यूब लिंक यह है। पियूष के बारे में और जानकारी विकिपीडिया पर आपको मिल जायेगी। मगर नहीं मिलेगी तो एक चीज़ और वोह है उनके theater performances. उसके लिए आपको निश्चय ही उम्मीद करना होगी की आपके शहर में उनका कोई play हो और आपको देखना नसीब हो। By the way अल्पग्यों को बता दूँ की कुछ फिल्मों में आपने गाने भी लिखे हैं जिनमें प्रमुख हैं टशन और गुलाल।

आपकी अदाकारी देखने के लिए मकबूल, मातृभूमि और गुलाल ज़रूर देखें।

Let's hope people like Piyush keep coming in larger numbers into the industry and bless us with more and more such work !!



Standing ovation for श्री पियूष मिश्रा जी !!!!!

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